राजनीतिक द्वेषता से हटकर अपने विरोधियों के साथ मधुर संबंध रखते थे चौटाला
-सिरसा से 5 बार विधायक व 4 बार मंत्री रहे लछमन दास अरोड़ा से जीवन भर निभाया धर्मभाई का रिश्ता
-कांग्रेस नेता अरोड़ा को दी थी सिरसा नरेश की संज्ञा
चौ. ओमप्रकाश चौटाला बेशक अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी अनेक ऐसी यादें हैं जो हमेशा ही राजनीति में नई पीढ़ी को पे्ररणा देती रहेंगी। चौटाला का गृह जिला सिरसा रहा और सिरसा विधानसभा क्षेत्र से पांच दफा लछमन दास अरोड़ा विधायक चुने गए और चार बार कैबिनेट मंत्री बने थे। अरोड़ा एक बार जनसंघ, एक बार आजाद एवं तीन बार कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए थे। राजनीतिक तौर पर बेशक उनके चौटाला परिवार से मतभेद थे, लेकिन चौटाला परिवार के साथ उनके पारिवारिक संबंध इस कद्र घन्ष्ठि थे कि जब भी समय मिलता चौटाला उनसे बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मिलने पहुंच जाते थे और अरोड़ा भी चौटाला को बड़े भाई साहब की तरह सम्मान देते थे। खास बात यह है कि चौ. ओमप्रकाश चौटाला लछमन दास अरोड़ा सिरसा नरेश के नाम से पुकारते थे और उनकी मेहमाननवाजी के कायल थे तथा उन्हें अपना धर्मभाई मानते थे।
गौरतलब है कि पांच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 90 वर्षीय चौ. ओमप्रकाश चौटाला का 20 दिसंबर को गुरुग्राम में निधन हो गया। उनके निधन पर शोक जताने के लिए देश व प्रदेश के दिग्गज नेता, समाजसेवी एवं व्यवसायी उनके पैतृक निवास स्थान पर तेजाखेड़ा में पहुंच रहे हैं। चौ. ओमप्रकाश चौटाला एक कुशल प्रशासक थे और अफसरशाही पर उनकी गजब की पकड़ थी। उनकी इस खूबी के उनके समर्थक व कार्यकत्र्ता कायल रहे हैं। हरियाणा के सियासी गलियारों में चौटाला के बारे में यह खास बात रही कि वे अफसरशाही के प्रति कडक़ मिजाज रखते थे तो अपने कार्यकत्र्ताओं के प्रति उनका स्वभाव उतना ही नरम था। विशेष पहलू यह है कि चौटाला राजनीतिक द्वेषता से हटकर अपने विरोधियों के साथ भी मधुर संबंध रखते थे। ऐसे ही मधुर संबंध उनके पूर्व मंत्री व सिरसा से पांच बार विधायक रहे स्व. लछमन दास अरोड़ा के साथ भी थे। साल 2000 में चौटाला ने पांचवीं बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मुख्यमंत्री बनने के बाद वे पहली बार सिरसा आए थे तो सिरसा में लछमन दास अरोड़ा के निवास स्थान पर पहुंचे। उन्होंने अरोड़ा की मेहमाननवाजी की तारीफ की और सिरसा की जनता के प्रति उनके भरोसे को देखते हुए चौटाला ने ही अरोड़ा को सिरसा नरेश की संज्ञा दी।
अनुभव का लेते थे फायदा, विकास को लेकर करते थे चर्चा
विशेष बात यह है कि चौ. ओमप्रकाश चौटाला की अपने राजनीतिक जीवन में लछमन दास अरोड़ा के साथ अक्सर मुलाकातें होती रहती थीं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी चौटाला लछमन दास अरोड़ा से विकास को लेकर विस्तार से चर्चा करते थे और उनके राजनीतिक अनुभव का भी फायदा लेने की कोशिश करते थे। खास बात यह भी रही कि चौटाला न केवल अरोड़ा से विकास के बारे में सलाह करते थे, बल्कि उस पर वे पूरी तरह से अमल भी करते थे। अरोड़ा और चौटाला परिवार के बीच इन रिश्तों को अब अरोड़ा के नाती एवं सिरसा से विधायक गोकुल सेतिया भी आगे बढ़ा रहे हैं। साल 2019 में गोकुल सेतिया ने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और उन्हें इनैलो ने समर्थन दिया। 2024 में बदली राजनीतिक परिस्थितियों के चलते गोकुल सेतिया कांग्रेस में शामिल हो गए और इसी साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस की टिकट पर सिरसा से विधायक चुने गए। चौ. ओमप्रकाश चौटाला का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ तेजाखेड़ा फार्महाऊस पर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान गोकुल सेतिया ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और चौटाला परिवार के बड़े सदस्यों के पांव छूते हुए उनके प्रति अपनी संवेदना प्रकट की। वे अंत्येष्टि के समय भी चौटाला परिवार के साथ एक पारिवारिक सदस्य की तरह पूरा समय मौजूद रहे। राजनीतिक विश£ेषक मानते हैं कि चौ. ओमप्रकाश चौटाला की छवि एक कुशल प्रशासक व दूरदर्शी राजनेता की रही, लेकिन अपने विरोधियों के साथ भी उनके ताल्लुकात व्यक्तिगत तौर पर हमेशा ही मधुर रहे। इसका एक और उदाहरण है जब चौटाला साल 2000 में मुख्यमंत्री थे तो अंबाला से निर्दलीय विधायक अनिल विज किसी मुद्दे को लेकर धरने पर बैठ गए। तब चौटाला उनके बीच पहुंचे और उनकी बात को सुनकर संबंधित अधिकारियों को समस्या के समाधान के निर्देश दिए। इसी तरह से चौटाला अपने कार्यकत्र्ताओं के काम को लेकर इतने गंभीर थे कि वे चाहे सत्ता में न हों फिर भी जनहित के काम को करवाने के लिए पूरी कोशिश करते थे।